Saturday, October 2, 2010

बापू के नाम एक पाती..


प्यारे बापू .....
happy birthday to you...
माफ़ कीजिये अंग्रेजी में लिखना ,पढना ,बोलना हमारी मजबूरी है ...
क्योंकि आधुनिकता भी जरूरी है.....
आपने देश को तो अंग्रेजों से आज़ादी दिला दी ...
पर हम आज भी अंग्रेजियत के गुलाम है...
अर्थात बेलगाम हैं...
हिंदी को मिल चुका है बनवास ...
आत्मरक्षा की लगाये है वो झूठी आस ...
रो रो कर फरियाद करती है ..
राष्ट्रभाषा हिंदी...बापू आपको बहुत याद करती है.....
याद तो सारे देश को आती है ..
एक छुट्टी जो मिल जाती है ...
देश का बच्चा बच्चा आपको बहुत मानता है...
इसलिए नही की वो आपके बारे में जानता है ....
बल्कि इसलिए की वो नोट को अच्छी तरह पहचानता है....
अर्थात नोट की ही महानता है....
नोट में छपे हुए गाँधी की सब मुराद करते हैं...
जरूरतमंद बापू...आपको बहुत याद करते हैं...
आपके रामराज्य सपने का आधार ....
निरर्थक और बेकार...
क्योंकि आज राम अपनी ही जन्मभूमि के लिए भटके हैं...
कभी हाईकोर्ट तो कभी सुप्रीमकोर्ट में लटके हैं....
और कोई नही है ये मानने को तैयार ...
की ईश्वर अल्लाह एक है...आपके कह अनुसार..
इसी को लेकर रोज़ विवाद करते हैं....
राम रहीम...बापू आपको बहुत याद करते हैं....
नैतिकता रूपी आपके वो बन्दर ...
आज हैं राजनीती के अन्दर ....
जहाँ के लोगों को ना तो बुराई दिखती है
,ना सुनाई देती है...और ना ही बुरा बोलते हैं...
बस अहिंसा और कायरता को एक ही पडले में तोलते हैं...
और कहलाते हैं अहिंसावादी....
अर्थात अवसरवादी...जो देश को बर्बाद करते हैं...
वो बन्दर.....बापू आपको बहुत याद करते हैं....
अब आगे क्या लिखूं बापू...आप खुद ही हैं समझदार...
अब एक गाँधी से नही होगा इस देश का उद्धार ....
कई गाँधी की है जरूरत ....
तब जाकर पूर्ण मुक्त होगा ये भारत .....
जय....हिंद...
अनिरुद्ध मदेशिया......