Saturday, May 31, 2014

बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा

बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
मरकरी नही तो एक बल्व ही जलाओ ज़रा
दस दिन से गई है तो अब तक आई नहीं
कल परसो ही सही ,पर उसे बुलाओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
ना नहाने की अब तो आदत पड़ गई है
अरे एक गिलास पानी ही पिलाओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
ऐ सी कूलर की तो बात बहुत दूर की है
यार  कोई टेबुल फैन ही चलाओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
ट्रांसफार्मर फूके हुए एक ज़माना हो गया
हईटेंसन से ही कटिया लगाओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
फैक्ट्री ,मील  बंद   हैं   तो  बंद  सही
स्कूल और अस्पताल ही तरस खाओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
इतने पर भी मीटर की घडी रूकती नहीं
अमा थोड़ा बिल ही काम कराओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
सत्ताखोरों के कानो पे जूँ तक नहीं रेंगती
या खुदा उन पर ही बिजली गिराओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा

Sunday, May 25, 2014

स्वकेंद्र की रेल

10 साल पहले इस कविता ने मुझे एक नई पहचान दी ,बड़ा हंगामा किया ,आज यूँही यूं पी बोर्ड के रिजल्ट पर याद आ गई। … आपको भी मज़ा आएगी

यहाँ स्वकेंद्र की रेल है
पैसेंजर नहीं मेल है
पास होने की बात  करे क्या
मेरिट भी अब खेल है
यहाँ स्वकेंद्र की रेल है
केवल फॉर्म भरना है
आगे कुछ न करना है
सेशन भर आराम करो
टेंशन फ्री एग्जाम करो
होता कोई न फेल है
यहाँ स्वकेंद्र की रेल है
जिनका कई साल लॉस हुआ
इसबार वो फर्स्ट क्लास हुआ
टीचर का हिसाब करो
पूरी नक़ल किताब करो
नक़ल की झेलम झेल है
यहाँ स्वकेंद्र की रेल है
सुविधा और ईनाम भी हैं
फ़र्ज़ी नाम तमाम भी हैं
मन की पूरी आस हुई
माँ बेटी संग पास हुई
मार्कशीट की सेल है
यहाँ स्वकेंद्र की रेल है
डिग्री बेरोज़गारी है
जॉब की मारामारी है
सरकार भी सरकारी है
ये यूं पी की लाचारी है
अब उनके हाथ नकेल है
यहाँ स्वकेंद्र की रेल है

Monday, May 19, 2014

मेरी फेसबुक वाल कुछ कहती है…

हॉस्पिटल में लम्बी लाइन ,रेलवे में लम्बी लाइन ,रासन कि लम्बी लाइन ,पानी की लम्बी लाइन , गैस के लिए लमी लाइन ,कॉलेज में लम्बी लाइन ,नौकरी की लम्बी लाइन , .... इन सारी लाइनो से बचना चाहते हैं तो लगाईये एक छोटी लाइन वोट के लिए .... जरुर

मेरे कुछ मित्र हैं जो जॉब ,ऑफिस वाले हैं, उनसे जब भी बात करो उनका एक ही रिप्लाई आता है … "यार फटी पड़ी है "… मुझे आज तक समझ आया की वो ऑफिस ऐसा कौन सा काम करते हैं

आज 70 प्रतिशत वोटिंग हो चाहे न हो
पर 100 प्रतिशत लौन्डे ये जरूर सोच रहे होंगे कि
"अबे लेओ … दिग्विजय सिंह तक के पास गर्लफ्रेंड है बे। ।हद है"

अबे हमारे देश में नेता हैं या जादूगर… किसी का अचानक से बेटा निकल आता है तो किसी की बीवी... और अब तो गर्लफ्रेंड भी, अब देखना किसी न किसी का बाप भी निकलेगा… पर पाप किसी का भी नहीं निकलेगा .. जय हो

राहुल राय ,राहुल महाजन ,राहुल भट्ट, राहुल खन्ना और अब राहुल गांधी … इससे सिद्ध होता है … की नाम का असर तो पड़ता है बॉस

अबे कुछ सपोर्टर तो अभी भी पगलाए हैं ,जिंदाबाद ,मुर्दाबाद कर रहे हैं ,जिसको जीतना था हारना था ,वो सब हो हुआ गवा … क्रांति हो गई ,देश आज़ाद हो गवा ,अब जाओ थोड़ा अपने घर पे भी ध्यान दे देयो

वो मूक PM,बड़बोला दिग्गी ,पप्पू राहुल,रिमोट वाली मैडम .... साला सारा मसाला चला गया कॉमेडी का …इस "अच्छे दिन " के चक्कर में ,अब क्या.. हवन करेंगे 

अबे 'झाड़ू ' तोड़ दी ,सायकिल पंचर कर दी ,लालटेन बुझ दी,और हद तो ये है 'हाथी' ने डर से 'अंडा' भी दे दिया और 'हाथ' को सिर्फ धोने के लिए छोड़ा है, … क्या तोडा है

हम यू पी वालों ने ये साबित कर दिया की अगर हम अपनी पे आ जाएँ तो अकेले ही किसी भी पार्टी की बाल्टी ,लुटिया,डब्बा सब डूबा सकते हैं ,काम दोगे ,इज्जत दोगे तो PM भी बना देंगे नहीं तो दाऊद ,छोटा राजन,राजा भैया जैसों को बनाने में हमे टाइम नहीं लगता … जय हो 

एक CM ने चुनाव से पहले इस्तीफा दिया और दूसरे CM ने चुनाव के बाद इस्तीफा दिया और दोनों की इसमें उनकी मर्जी ,पर अब जो CM इस्तीफा देगा उसको मिलेगी PM की कुर्सी

पूर्व प्रधानमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री में अंतर बताओ ?
पूर्व प्रधानमंत्री सरदार थे ,वर्तमान प्रधानमंत्री असरदार हैं 
पूर्व प्रधानमंत्री बोलते नहीं थे ,वर्तमान प्रधानमंत्री चुप नहीं रहते 
पूर्व प्रधानमंत्री रोबोट थे ,वर्तमान प्रधानमंत्री भी रोबोट हैं पर सुपर रोबोट चिट्टी

Wednesday, May 7, 2014

luck without life

विश्वास  … 
             हाँ विश्वास ही तो करने लगा हूँ 
               बहुत ज्यादा 
              शायद खुद से भी ज्यादा 
      कहते हैं प्यार का दूसरा नाम होता है विश्वास 
              तो क्या मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ 
            मेरा अहम ,गुरुर ,खुद्दारी सब के सब तुम्हारे सज़दे में सिर झुका रहे हैं 
           मेरी तमाम परेशानी ,तकलीफ ,उलझने ,सब तुम्हारे नाम से सुकून पा रहे हैं 
             मुझे आज भी याद है  … जब मैं तुम्हारे नाम से चिढ़ता था 
             मुझमे और तुम में अगर कुछ था तो वो था ३६ का आँकड़ा 
                तुम अपने गुरुर में थी 
                मैं अपने गुरुर में 
              तुम पर लोग बड़ी आसानी से विश्वास करते थे 
             पर मुझे खुद से ज्यादा किसी पर भी नहीं 
               पप्पू ,गोलू,जावेद ,हनी मेरे दोस्त 
            सब तुम्हे पाने का ख्वाब देखा करते थे 
        और गली का हर शख्स तुम्हारे लिए आहें भरा करता था 
        तुम किसके साथ रहती थी 
          किसके साथ जाती थी 
          किससे मिलती थी 
        मुझे इस बात की कभी परवाह नही थी 
       पर आज जब तुम्हे किसी के साथ देखता हूँ 
       तो टूट जाता है मन 
        जल जाता है तन 
          रात बेचैनी से कटती है और दिन उलझन भरा 
             अब मैं बस तुम्हे  पा लेना चाहता हूँ 
              अपनी आगोश में समां लेना चाहता हूँ 
           मिटा देना चाहता हूँ  .... अपने बीच की ये दूरी 
              ये लाचारी और मजबूरी 
             हाँ ,हाँ,हाँ मैं करने लगा हूँ तुम पर बेपन्हा विश्वास 
           पर तुम कब आओगी मेरी जिंदगी में 
           और चमकोगी उस तरह ,जिसे लोग कहते हैं किस्मत 
           जी हाँ  … मैं किस्मत की ही बात कर रहा था 
जिसके अस्तित्व को मैं   अब मानने लगा हूँ 
       क्योंकि            luck without life 
         just like husband without wife