Friday, July 9, 2010

कालेजों में धरना.

हर साल बच्चों के सिलेबस बदल जाते हैं. तो तंग होकर बच्चों ने इस बार अपने कालेज में कुछ बदलाव की मांग
की है... उनकी डिमांड को मै अपनी कविता के ज़रिये संसद भवन में रखने की कोशिश करूँगा...............

बदल चुका है युग यह अब तो अध्ययन बदलो वरना ...
इसी बात पर लगा हुआ है कालेजों में धरना....

बहुत हो चुका ज्ञान विज्ञान और ये पूरा इतिहास
पढ़ पढकर ये हिंदी मारी अब तो भए उदास
फ़िल्मी हो किताबें सारी ऐसा विषय लगाओ
हीरो और हिरोइन को लेकर नये नये पाठ बनाओ
फ़िल्में इनकी दिखाकर हमको समझाया तुम करना
इसी बात पर लगा हुआ है कालेजों में धरना...

गबन और गोदान की तो हैं बातें बहुत पुरानी
गर्लफ्रेंड और मर्डर के जैसी लिखना एक कहानी
ज्योति जवाहर हो राही की या बच्चन की मधुशाला
लाइब्रेरी में रखवा के इनको लगवाना एक ताला
बूढा हो चुका है साहित्य इसको अब है मरना
इसी बात पर लगा हुआ है कालेजों में धरना...

प्रेमचंद और तुलसी के जीवन से क्या है काम
मल्लिका और बिपाशा का बस रटते दिन भर नाम
सूरदास के सूरसागर को अब तो भूल भी जाओ
मोनिका और बिल क्लिंटन का प्रेम कांड मंगवाओ
इश्क विश्क में बी एड हो जो ऐसा टीचर रखना
इसी बात पर लगा हुआ है कालेजों में धरना...

एक रंग के यूनिफार्म से होती हमको टेंशन
छोटे छोटे कपडे अब तो लम्बे बाल का फैशन
युग पुरुष ना सिद्ध पुरुष ना बनना हमको नेता
मिलिंद सोमन सा मोडल बनना शाहरुख़ सा अभिनेता
बालीवुड से हालीवुड तक हमको आगे बढ़ना
इसी बात पर लगा हुआ है कालेजों में धरना...

सुबह सवेरे आते ही हम डीजे बंद बजाएं
महापुरुषों के जन्मदिवस पर दैय्या दैय्या गायें
जिसको जब जब फुर्सत हो वो तब तब कालेज आये
स्टुडेंट को दिक्कत हो तो टीचर घर घर जाये
इतने पर तुम राज़ी हो तो फार्म मेरा भरना
इसी बात पर लगा हुआ है कालेजों में धरना...

Friday, July 2, 2010

रिअलिटी शो

करोडो में एक आवाज़ जो बनेगी देश की आवाज़.. इस स्लोगन के तमाम होर्डिंग आज आपको तमाम जगह देखने को मिल जायेंगे... ये दावा है रिअलिटी शो इंडियन आइडल ५ का जो पहले करोड़ो में एक आवाज़ चुनते हैं पैर बाद में वो आवाज़ करोडो में होकर रह जाती है. इस तरह के कई रिअलिटी शो इन जुमलों से अपनी दुकान चला रहे हैं. प्रतियोगिता के विनर सिर्फ नाम बनकर रह जाते हैं और बाकि सब अपनी ही आवाज़ को तलाशते भ्रम के अँधेरे में खो जाते हैं.. क्योकि जो पहले से ही स्थापित नाम हैं उन्हें ही आज के इस प्रतियोगी दौर में कम नहीं मिल पा रहा है. अभी पिछले दिनों सोनू निगम का बयान आया की अगर मुझसे नहीं गवाया गया तो हालीवुड की रह पकड़ लेंगे. पकड़ना है तो पकड़ लो यहाँ किसे पड़ी है. अरे आजकल तो हमारी फिल्मों के नायक वाकई नायक होते जा रहे हैं. डांसिंग, कॉमेडी और तो और सिंगिंग भी करते नज़र आ रहे हैं. तो अब बेचारे सिंगर्स कहा जायेंगे. और सबसे मज़े की बात इन रिअलिटी शोस के जज भी वही हैं जिन्हें इंडस्ट्री में काम नहीं मिल रहा है. और वो शो के प्रतियोगियों को काम दिलाने का वादा कर देते हैं. इनको काम मिले या न मिले इनके पास काम हो या न हो पर हमारे पास तो काम है दखलंदाज़ी करना और वो हम करेंगे.........जय हो दखलंदाज़ी की..........!!!
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बरसात में मेढक

एक दिन सुबह सबेरे तडके ..
हमारे मित्र के लड़के ....
हमारे पास आये और हमसे बोले
अंकल हमे ये बताइए और समझाइये
कि मेढक कहाँ से आते हैं और कहाँ चले जाते हैं
मैंने कहा इसका बड़ा सीधा सरल है जवाब
राजनीती द्रष्टि से देखेंगे तो समझ जायेंगे आप
जो बरसात में मेढक आते हैं वो बरसाती कहलाते हैं
जो बरसात के बाद भूमिगत हो जाते हैं
जो बरसात भर चीखते चिल्लाते टर्राते हैं
दिनरात के मोहाल को अशांतिपूर्ण बनाते हैं
जिनकी पूरी बरसात मौज में कटती है
पर गरीब कि झोपडी रह रहकर टपकती है
बरसात प्रकर्ति का हिस्सा है मगर
बाढ़ और सूखे का भी होता है डर
पर इनको नही है इससे कोई काम
ये करते हैं पूरे साल.... आराम
इनको किसी और मौसम में देखना चाहोगे
तो सही बता रहा हूँ दोस्तों ......ढूँढतेरह जाओगे
ये अगले मौसम में फिर आयेंगे
चीखेंगे चिल्लायेंगे टर्राएंगे....
बाढ़ या फिर सूखा लायेंगे
बाढ़ या फिर सूखा लायेंगे

..............अनिरुद्ध मदेशिया.

बिजली

बिजली का कहर ,आठो पहर ....
जिससे परेशान सारी बस्ती पूरा शहर
बस हर तरफ एक ही आवाज़ आई
बिजली नही आई ,बिजली नही आई
हर शक्स अपनी -अपनी समास्यें लिए खड़ा था..........
शहर कि मलिन बस्ती में भी एक सरकारी खम्बा गड़ा था
जो जरूरतों के हिसाब से छोटा पर बिजली हॉउस से बड़ा था
जिसपर शांताबाई का लड़का बिन सीडी के चढ़ा था ..........
तभी अचानक बिजली आई
एक चीख दी सुनाई
लड़का खम्बे से नही उतरा
खम्बे में करंट उतरा
विधूत विभाग अपना काम कर गया
शांताबाई का लड़का चिपक कर मर गया
शहर के हर घर से अँधेरा कंही जाकर छुप गया
मेरी झोपडी का चिराग भी आज बुझ गया
इतना कह ............शांताबाई बुदबुदाई ....
ये बिजली क्यों आई ,ये बिजली क्यों आई