दिवाली के जितने भी celebration होते हैं... उनसे जुड़े हमारे ससुराल के relation होते हैं... जैसे बीवी होती है छोटी दिवाली ... साली होती है बड़ी दिवाली.... साले होते हैं भैया दूज ...सास होती है .. छ्टपूजा की बेला...ससुर होता है परेवा की तरह अकेला .... और आदमी इस त्योहार रूपी ससुराल में dhan ko tarasta huaa 'dhanteras' की तरह खर्च होता रहता है..
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