Tuesday, October 14, 2014

डाकिये भी कितने मक्कार बैठे हैं

महफ़िल में हम बड़े बेजार बैठे हैं 
मोहब्बत में अपना सब हार बैठे हैं 
लोग कहते हैं मैं दिल से काम लेता हूँ 
तो क्या करूँ,हर तरफ होशियार बैठे हैं 
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वादा तो था मोहब्बत में जान देने का 
पर ना जाने क्यों हम लाचार बैठे हैं 
झूठ है अश्क की कीमत नहीं होती 
देखो,खरीदने को कितने खरीदार बैठे हैं 
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मुश्किल है उन तक पैगाम पहुचना 
डाकिये भी कितने मक्कार बैठे हैं 
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ख्वाबों में  भी आना बंद है आज कल 
क्योंकि नींद पे भी पहरेदार बैठे हैं 

महफ़िल में हम बड़े बेजार बैठे हैं
मोहब्बत में अपना सब हार बैठे हैं

Monday, July 14, 2014

शिव और क्रिकेटर

महाशिवरात्रि के मौके पे और टीम इंडिया के जीत पे  भगवान शिव के लिए काफी साल पहले पैरोडी भजन लिखा है , (गाना-मैं निकल गड्डी लेके )शेयर आज कर रहा हूँ। इसमें कितने क्रिकेटरों के नाम आये हैं आप बताएं?

शिव सुन्दर, हैं वीरेंदर ,मन चेतन,वो मोहिन्दर ,
त्री नयन,वाले ,वो हैं अभिजीत काले
वो विजय भी और अजय भी , है अजित और अभय भी ,
चंद्रकांत पाले ,  वो हैं अभिजीत काले 
त्री नयन,वाले ,  वो हैं अभिजीत काले
हर भजन में वो मतवाला है , श्रीसंत  और मुरली बाला है 
हैं उसके रूप अतुल वो ,  श्रीकांत और मदन लाला है 
है अखिल भी और निखिल भी,  श्रीनाथ और कपिल भी 
शरन में दीप तू जला ले , देवाशीष तू भी पाले
त्री नयन,वाले , वो हैं अभिजीत काले

Thursday, June 26, 2014

मेरी फेसबुक वाल कुछ कहती है…2

केजरीवाल - मैं बांड पे साइन नहीं करूँगा ,जाओ पहले उस आदमी का साइन ले कर आओ जिसने जबरदस्ती मेरा नामांकन मोदी के खिलाफ भरा,मुझे तो हारने के बाद पता चला ,जाओ उस आदमी का भी साइन लेकर आओ जिसने PM की कुर्सी का लालच देकर मेरी CM की कुर्सी की भी वाट दी 

बेटा चुपचाप लाइट दाई दो,नहीं तो अभी हमारा पसीना निकल रहा है और चुनाव परिणाम के दिन तुम्हारा निकलेगा और कई जगह से ,चाहे जीतनी ac चला लेना... हलके में ना लेव,हम U.P वाले हैं रायता फैलाने में टाइम नहीं लगाते

हमारे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी सुबह कोई डिसीजन लेते हैं ,दोपहर में पिता जी की डाँट पड़ती है .... शाम को बदल देते हैं ,(उन पर ये बाल कविता )
अखिल,अखिल....yes पापा 
बिन मेरे परमिशन…yes पापा
ना कोई डिसीजन .... no पापा 
यूं पी की किस्मत ऐसी है 
जैसे आजम खान की भैंसी है 
भैसी भी थोड़ी रूठी है 
ये पांच साल की डियूटी है 
डियूटी ,डियूटी करते जाओ 
अंदर माल करते जाओ 
नो ओपन माउथ 
हा ह हां हा हा हा

कभी-कभी लोगो की कही बात सच हो जाती है,बचपन में लोग मुझे कहा करते थे 'देखना तेरी इन्ही हरकतों के चलते आगे चल कर लोग तुझ पर हसेंगे' 

उत्तर प्रदेश में पूड़ियाँ 'कड़क' और नेता 'मुलायम' होता है 
वहां के नेता के पास 56 का सीना हो ना हो पर उनके पास 60 ,70 भैंसे जरूर होती हैं।

अरे भाई ट्रैन का किराया बढ़ गया तो अब लोग हवाई सफर करेंगे,तो फिर आ गए ना 'अच्छे दिन'
प्याज के दाम बढ़ेंगे तो हम पनीर खाएंगे, तो फिर आ गए ना 'अच्छे दिन'
पेट्रोल के दाम बढ़ेंगे तो हम राजसी रथ पे चलेंगे ,तो फिर आ गए ना 'अच्छे दिन

भारतीय पुलिस वालों से गुजारिश है की नेता जी का 'कटहल' और ' भैंस' ढूंढने से अगर थोड़ी फुर्सत मिले तो उन 16 इंजीनियरस की लाशों को और बंदयु की बेटियों के हत्यारों को भी ढूंढने की कोशिश करना ,भगवान तुम्हारा भला करे

जनता की धमकी- - ट्रैन का बढ़ा किराया वापस लिया जाये वरना हम सब सामूहिक रूप से 'हमशकल्स' मूवी देखेंगे ,फिर जो होगा उसकी जिम्मेदार सरकार होगी

"कुछ मीठा हो जाए" लगता है इस एड को सरकार ने कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले लिया,अब चीनी के दाम बढे 

Saturday, May 31, 2014

बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा

बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
मरकरी नही तो एक बल्व ही जलाओ ज़रा
दस दिन से गई है तो अब तक आई नहीं
कल परसो ही सही ,पर उसे बुलाओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
ना नहाने की अब तो आदत पड़ गई है
अरे एक गिलास पानी ही पिलाओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
ऐ सी कूलर की तो बात बहुत दूर की है
यार  कोई टेबुल फैन ही चलाओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
ट्रांसफार्मर फूके हुए एक ज़माना हो गया
हईटेंसन से ही कटिया लगाओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
फैक्ट्री ,मील  बंद   हैं   तो  बंद  सही
स्कूल और अस्पताल ही तरस खाओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
इतने पर भी मीटर की घडी रूकती नहीं
अमा थोड़ा बिल ही काम कराओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा
सत्ताखोरों के कानो पे जूँ तक नहीं रेंगती
या खुदा उन पर ही बिजली गिराओ ज़रा
बिजली की एक झलक दिखलाओ ज़रा

Sunday, May 25, 2014

स्वकेंद्र की रेल

10 साल पहले इस कविता ने मुझे एक नई पहचान दी ,बड़ा हंगामा किया ,आज यूँही यूं पी बोर्ड के रिजल्ट पर याद आ गई। … आपको भी मज़ा आएगी

यहाँ स्वकेंद्र की रेल है
पैसेंजर नहीं मेल है
पास होने की बात  करे क्या
मेरिट भी अब खेल है
यहाँ स्वकेंद्र की रेल है
केवल फॉर्म भरना है
आगे कुछ न करना है
सेशन भर आराम करो
टेंशन फ्री एग्जाम करो
होता कोई न फेल है
यहाँ स्वकेंद्र की रेल है
जिनका कई साल लॉस हुआ
इसबार वो फर्स्ट क्लास हुआ
टीचर का हिसाब करो
पूरी नक़ल किताब करो
नक़ल की झेलम झेल है
यहाँ स्वकेंद्र की रेल है
सुविधा और ईनाम भी हैं
फ़र्ज़ी नाम तमाम भी हैं
मन की पूरी आस हुई
माँ बेटी संग पास हुई
मार्कशीट की सेल है
यहाँ स्वकेंद्र की रेल है
डिग्री बेरोज़गारी है
जॉब की मारामारी है
सरकार भी सरकारी है
ये यूं पी की लाचारी है
अब उनके हाथ नकेल है
यहाँ स्वकेंद्र की रेल है

Monday, May 19, 2014

मेरी फेसबुक वाल कुछ कहती है…

हॉस्पिटल में लम्बी लाइन ,रेलवे में लम्बी लाइन ,रासन कि लम्बी लाइन ,पानी की लम्बी लाइन , गैस के लिए लमी लाइन ,कॉलेज में लम्बी लाइन ,नौकरी की लम्बी लाइन , .... इन सारी लाइनो से बचना चाहते हैं तो लगाईये एक छोटी लाइन वोट के लिए .... जरुर

मेरे कुछ मित्र हैं जो जॉब ,ऑफिस वाले हैं, उनसे जब भी बात करो उनका एक ही रिप्लाई आता है … "यार फटी पड़ी है "… मुझे आज तक समझ आया की वो ऑफिस ऐसा कौन सा काम करते हैं

आज 70 प्रतिशत वोटिंग हो चाहे न हो
पर 100 प्रतिशत लौन्डे ये जरूर सोच रहे होंगे कि
"अबे लेओ … दिग्विजय सिंह तक के पास गर्लफ्रेंड है बे। ।हद है"

अबे हमारे देश में नेता हैं या जादूगर… किसी का अचानक से बेटा निकल आता है तो किसी की बीवी... और अब तो गर्लफ्रेंड भी, अब देखना किसी न किसी का बाप भी निकलेगा… पर पाप किसी का भी नहीं निकलेगा .. जय हो

राहुल राय ,राहुल महाजन ,राहुल भट्ट, राहुल खन्ना और अब राहुल गांधी … इससे सिद्ध होता है … की नाम का असर तो पड़ता है बॉस

अबे कुछ सपोर्टर तो अभी भी पगलाए हैं ,जिंदाबाद ,मुर्दाबाद कर रहे हैं ,जिसको जीतना था हारना था ,वो सब हो हुआ गवा … क्रांति हो गई ,देश आज़ाद हो गवा ,अब जाओ थोड़ा अपने घर पे भी ध्यान दे देयो

वो मूक PM,बड़बोला दिग्गी ,पप्पू राहुल,रिमोट वाली मैडम .... साला सारा मसाला चला गया कॉमेडी का …इस "अच्छे दिन " के चक्कर में ,अब क्या.. हवन करेंगे 

अबे 'झाड़ू ' तोड़ दी ,सायकिल पंचर कर दी ,लालटेन बुझ दी,और हद तो ये है 'हाथी' ने डर से 'अंडा' भी दे दिया और 'हाथ' को सिर्फ धोने के लिए छोड़ा है, … क्या तोडा है

हम यू पी वालों ने ये साबित कर दिया की अगर हम अपनी पे आ जाएँ तो अकेले ही किसी भी पार्टी की बाल्टी ,लुटिया,डब्बा सब डूबा सकते हैं ,काम दोगे ,इज्जत दोगे तो PM भी बना देंगे नहीं तो दाऊद ,छोटा राजन,राजा भैया जैसों को बनाने में हमे टाइम नहीं लगता … जय हो 

एक CM ने चुनाव से पहले इस्तीफा दिया और दूसरे CM ने चुनाव के बाद इस्तीफा दिया और दोनों की इसमें उनकी मर्जी ,पर अब जो CM इस्तीफा देगा उसको मिलेगी PM की कुर्सी

पूर्व प्रधानमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री में अंतर बताओ ?
पूर्व प्रधानमंत्री सरदार थे ,वर्तमान प्रधानमंत्री असरदार हैं 
पूर्व प्रधानमंत्री बोलते नहीं थे ,वर्तमान प्रधानमंत्री चुप नहीं रहते 
पूर्व प्रधानमंत्री रोबोट थे ,वर्तमान प्रधानमंत्री भी रोबोट हैं पर सुपर रोबोट चिट्टी

Wednesday, May 7, 2014

luck without life

विश्वास  … 
             हाँ विश्वास ही तो करने लगा हूँ 
               बहुत ज्यादा 
              शायद खुद से भी ज्यादा 
      कहते हैं प्यार का दूसरा नाम होता है विश्वास 
              तो क्या मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ 
            मेरा अहम ,गुरुर ,खुद्दारी सब के सब तुम्हारे सज़दे में सिर झुका रहे हैं 
           मेरी तमाम परेशानी ,तकलीफ ,उलझने ,सब तुम्हारे नाम से सुकून पा रहे हैं 
             मुझे आज भी याद है  … जब मैं तुम्हारे नाम से चिढ़ता था 
             मुझमे और तुम में अगर कुछ था तो वो था ३६ का आँकड़ा 
                तुम अपने गुरुर में थी 
                मैं अपने गुरुर में 
              तुम पर लोग बड़ी आसानी से विश्वास करते थे 
             पर मुझे खुद से ज्यादा किसी पर भी नहीं 
               पप्पू ,गोलू,जावेद ,हनी मेरे दोस्त 
            सब तुम्हे पाने का ख्वाब देखा करते थे 
        और गली का हर शख्स तुम्हारे लिए आहें भरा करता था 
        तुम किसके साथ रहती थी 
          किसके साथ जाती थी 
          किससे मिलती थी 
        मुझे इस बात की कभी परवाह नही थी 
       पर आज जब तुम्हे किसी के साथ देखता हूँ 
       तो टूट जाता है मन 
        जल जाता है तन 
          रात बेचैनी से कटती है और दिन उलझन भरा 
             अब मैं बस तुम्हे  पा लेना चाहता हूँ 
              अपनी आगोश में समां लेना चाहता हूँ 
           मिटा देना चाहता हूँ  .... अपने बीच की ये दूरी 
              ये लाचारी और मजबूरी 
             हाँ ,हाँ,हाँ मैं करने लगा हूँ तुम पर बेपन्हा विश्वास 
           पर तुम कब आओगी मेरी जिंदगी में 
           और चमकोगी उस तरह ,जिसे लोग कहते हैं किस्मत 
           जी हाँ  … मैं किस्मत की ही बात कर रहा था 
जिसके अस्तित्व को मैं   अब मानने लगा हूँ 
       क्योंकि            luck without life 
         just like husband without wife  

Thursday, February 6, 2014

जागो लेखक जागो

माँ शारदे ,माँ तार दे थोडा सा हमको प्यार दे.. इस बसंतपंचमी के पवन पर्व पर आप सभी सरस्वती पुत्रों को ढेर सारी शुभकामनाएं। . आज के दिन मुझे अपने शहर के वरिष्ठ कवि "कन्हैया लाल बाजपेयी जी " की बात याद आई है जिसे आप तक पहुचता हूँ ,ये आप पर है कि आप उस बात से कितना इत्तफाक रखते हैं , वो कहते हैं की माँ शारदे से कवि या लेखक से तीन रिश्ते होते हैं पहला माँ पुत्र का ,क्योंकि हम उनके उपासक हैं उनकी बन्दना करते
वो हमारा भरण पोषण करती हैं , दूसरा पिता पुत्री का , क्योंकि हम कविता या लेख ,कहानी कि उत्त्पति हैं सृजन करते हैं ,और इस निर्माण में उसी प्रसव पीढ़ा से होकर गुजरते हैं और ये सब विद्या कहलाता है अर्थात हम विद्या के पिता भी हुए ,तीसरा रिश्ता पत्नी और प्रेमी का , हम अपनी लिखी कविता और लेख को पढ़कर आनंदित होते हैं ,रसास्वादन करते हैं और उसे प्यार करते हैं ,… तो ये तीनो रिश्ते ,माँ शारदे से निभा पाना बहुत कठिन होता है, कहीं भी जरा भी चूंक हुयी ,आपको इसका परिणाम भुगतना ही होगा , इसलिए अपनी कलम कि ताकत का सही जगह और सही शब्दों के साथ इस्तेमाल करें ,अन्यथा ये इतिहास है कि ज्यादातर लेखक और कवियों कि मौत साधारण नहीं हुयी है उन्हें कष्ट उठाना ही पढ़ा है ,इसलिए जागो लेखक जागो

Monday, January 13, 2014

खिचड़ी

हमारे भले नेता ,भले पांच साल दिखे पर किसी भी त्योहारों में ये ऐसे नज़र आते हैं जैसे की त्योहारी मांगने आये हैं, मकर संक्रांति पर खिचड़ी वितरण का कार्यक्रम जोरो से होता है। मैंने  भी खाई और फिर ये खिचड़ी तैयार हुई आपके लिये…। 

मैंने कहा नेता जी खिचड़ी तो भायी है 
खिचड़ी  मगर    ये कैसे     बनायी है 
नेता बोले खिचड़ी ये राजनीती वाली है 
इसमें   देखो    क्या चीज़ भी  डाली है 
आग    गरीबी   की     मैंने लगायी है 
उस पे वादों    वाली  हांडी     चढ़ाई है
शहर के सुन्दरीय करण वाला चावल है 
मटर के दाने जैसा गंगा जी का पूल है 
सड़कों और नालियों का इसमें नमक भी है 
नौकरी     रोज़गार    वाला  देशी घी है 
भूखी इस जनता की आँखों का पानी है 
खिचड़ी बनाने की बस ये कहानी है 
बनी हुई खिचड़ी मई लोगों को खिलाऊंगा 
भारी मतों से  फिर     संसद जाउंगा  
मैंने कहा नेता जी संसद जायेंगे 
वहाँ पर खिचड़ी वाली सरकार चलाएंगे 
पूरी     मलाई      अकेले    खायेंगे 
हम को कब तक खिचड़ी खिलाएंगे 
हम को कब तक खिचड़ी खिलाएंगे 

Thursday, January 2, 2014

मेरे गॉंव की ठण्ड

वो सुबह-सुबह आ जाती है मेरे घर की खुली खिड़की से.
न जाने क्यों उसकी धूप से नही पटती है 
दिनभर उससे लड़ती रहती है.. 
उसके सपने बहुत बड़े हैं 
वो छा जाना चाहती है घर मकान पे  
खेत खलियान पे,हर तरफ- चारो तरफ 
वो मुझे जबरदस्ती खींचकर कमरे से 
ले जाती है आग के अलाव के पास 
और खुद मुह फुलाकर बैठ जाती है दूर 
चिड़चिड़ी ,मुहचड़ी ,मगरूर 
भूनी हुई मटर की  फलियाँ बड़े चाव से खाती है 
गर्म चाय की चुस्कियां उसे बहुत लुभाती हैं 
उसकी शरारत पर मुझे कभी बहुत प्यार आता है 
मन करता है दुबाकर उसे सुला लू रज़ाई में 
उसकी वजह से घर में काफी बदलाव आ गया  है 
बाऊ जी को पानी गर्म करना आ गया है 
बँटी का स्कूल ना जाने का बहाना
घुटने तक हाथ पैर धोना ना नहाना
वो घुस जाती है यहाँ वहाँ -जहाँ तहां
मंदिर के कमरे में आरती करती हुई  माँ
उसे कांपते हुए हाथो से भगाती है
फिर भी न उसे मलाल है न घमंड
वो है मेरे गॉंव  की ठण्ड
जी हाँ मै गॉंव कि ठण्ड को बहुत याद करता हूँ। 
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