दोस्तों.........आज हर कोई अपने को बढ़ाने में कम दुसरे को घटाने में ज्यादा मेहनत करता है ...ये कैसे आगे बढ़ गया ,ये क्यूँ तरक्की कर रहा है ,इसको कैसे नीचा दिखाऊ .....ये तरह के वायरस दिमागी क्यम्प्यूटर में आकर आदमी को हैंग कर देते हैं .......और प्रगति रुपी माउस निष्क्रीय कर देता है .....मेरी कम उम्र श्यादकुछ मेरे आदरणीय विष्शिठ लोगों के लिए सफलता पाने का पैमाना हो सकती है ..........जिनके भाव भंगिमा को मै आज तक नही पढ़ पाया....की वो मेरे लिए किस तरह के हैं ..........उनके भाव मेरे लिए भले बदल गये हो पर मेरे भाव बढ़ने के बाद भी उनके लिए आज भी मेरे मन में बिना आभाव के वही भाव हैं।
sir bilkul yahi hota hai humare sath ..................magar log samjhte hi nahi hai
ReplyDelete