Thursday, February 6, 2014

जागो लेखक जागो

माँ शारदे ,माँ तार दे थोडा सा हमको प्यार दे.. इस बसंतपंचमी के पवन पर्व पर आप सभी सरस्वती पुत्रों को ढेर सारी शुभकामनाएं। . आज के दिन मुझे अपने शहर के वरिष्ठ कवि "कन्हैया लाल बाजपेयी जी " की बात याद आई है जिसे आप तक पहुचता हूँ ,ये आप पर है कि आप उस बात से कितना इत्तफाक रखते हैं , वो कहते हैं की माँ शारदे से कवि या लेखक से तीन रिश्ते होते हैं पहला माँ पुत्र का ,क्योंकि हम उनके उपासक हैं उनकी बन्दना करते
वो हमारा भरण पोषण करती हैं , दूसरा पिता पुत्री का , क्योंकि हम कविता या लेख ,कहानी कि उत्त्पति हैं सृजन करते हैं ,और इस निर्माण में उसी प्रसव पीढ़ा से होकर गुजरते हैं और ये सब विद्या कहलाता है अर्थात हम विद्या के पिता भी हुए ,तीसरा रिश्ता पत्नी और प्रेमी का , हम अपनी लिखी कविता और लेख को पढ़कर आनंदित होते हैं ,रसास्वादन करते हैं और उसे प्यार करते हैं ,… तो ये तीनो रिश्ते ,माँ शारदे से निभा पाना बहुत कठिन होता है, कहीं भी जरा भी चूंक हुयी ,आपको इसका परिणाम भुगतना ही होगा , इसलिए अपनी कलम कि ताकत का सही जगह और सही शब्दों के साथ इस्तेमाल करें ,अन्यथा ये इतिहास है कि ज्यादातर लेखक और कवियों कि मौत साधारण नहीं हुयी है उन्हें कष्ट उठाना ही पढ़ा है ,इसलिए जागो लेखक जागो

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